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हौ भीक्षा मँगै छै कुसमा ड्योढ़ीमे / मैथिली लोकगीत

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मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ भीक्षा मँगै छै कुसमा ड्योढ़ीमे
रानी के सब खबरिया कहै छै
नै तोरा नहिरा गोहनियाँ अयलै
योगिया धुनि रमौने छै
एतबे वचन मंुगीया बजै छै
सवा सेर चाउर सोना थाड़ लै छै
नौरीया से भीक्षा योगया नै लै छै
भागल नौरीया महलमे जाइ छै
सब वरनन कुसमा के कहै छै
अपने रानी थाड़ी उठौलकै
दस पाँच टका लऽ कऽ
रेखा तर से रानीयाँ बोलै छै
सुनिले बाबा दिल के वार्त्ता
हमरा हाथ से भीक्षा लियौ
तब जवाब योगिया की दै छै
सुनिले रानी दिल के वार्त्ता
बान्हल भीक्षा योगी के नै लिखै छै
रेखा बाहर रानीयाँ भऽ जो
रेखा टपि के भीक्षा लेबौ
भीक्षा के लऽकऽ योगिया ड्योढ़िया से जयतै गै।
एत्तेक बात रानी कुसमा सुनै छै
मनमे विचार रानी करै छै
स्वामी गेलै फलका ऊपरमे
रेखा दऽ कऽ स्वामी गेलै
केना हौ बात स्वामी के कटबै
स्वामी वचनियाँ हम नै करै छी
खाली योगी ड्योढ़ी से जेतै
हमरा धरमुआ वध जखनी लगतै यौ।
रेखा टपि के जखनी रानी चललै
तीन कदम आ के एलै
नमैर के भीक्षा योगी के दै छै
जादू मारि राजा ने देलकै
आँखि आन्हर कुसमा के केलके
योगिया उठा कन्हा पर लै छै
भागल योगिया महिसौथा से चलि देलकै यौ।
डोलीया फनाँ के राजा भगलै
जादूपुरमे राजा गयलै
पलंग उपरमे रानी राखैय
जादू वापस रानी से करैय
पल खोलि कुसमा के गेलै
तब हकनमा कुसमा जादूपुरमे कनै छै
जो जो बेइमनमा भल नै हेतौ
योगिया बनिके हमरा हरलऽ
योगिया नै छीयै, छीयै रसभोगिया
स्वामी अबिते फलका उपर से
कोहबर घरमे दुलहिन
खाली कोहबर स्वामी देखतै
केना धैरजवा आइ निर्मोहिया हमरा रहतै यौ।