मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
हौ मारै छै हौ जादू सती मलीनियाँ
मानुष तन देवता छौड़ौलकै
सुग्गा रूप दादा पड़ि गेलै
सोना पिंजड़ामे दादा देलकै
भागल मलीनियाँ मैनाडीह पर चललै
तब बुढ़वा नट के नजरिया पड़ि गेल
मने मन विचार बूढ़वा नटबा करै छै
एत्तेक दुनियाँ हम घुरलियै
आ सती के नजरि देखऽलियै
बहुत नटिन हम जगमे देखलीयै
एहेना नटिन एको नै देखलियै
एमरी बिअहबा एहि नटिनियाँ से करबै यौ।।