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हौ सुतले चुहरा के गंगा तकबै छै / मैथिली लोकगीत

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

हौ सुतले चुहरा के गंगा तकबै छै
हा मनचित राम पर चुहर उठै छै
हा पल घुरै छी मनचित राम पर
भट भट रासा हौ चुहर टूटैय
चुहरा उठय मनचित पर जे
बीच गंगा के चुहर पड़ैय
मनचित राम भैंसा उपरमे
भागिकऽ चुहरा दादा चुहरा प्रेमी चलि गेलै यौ
भागिकऽ चुहरा मोकमा गेलै
हासती नटिनियाँ ठकमुरगी लगलै
तब जवाब नटिनियाँ दै छै
सुनऽ सुनऽ हय स्वामी सुनिलय
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
पकड़ल चोर गंगासँ भागि गेल
केना अय हाजिर पकरियामे हयब हय।।
तब जवाब सीरी सलहेस दै छै
हा सुन गे मलीनियाँ तोरा कहै छी
पहिने तोरा हम समझौलियौ
चल चल मनौलिनयाँ राज पकरिया
कोरा कागज राजा से फड़बेबै
हाजत घरमे सहजे जेबै
तोहर छुटकारा ड्योढ़ी से हेतौ
जेल के घरमे नटिनियाँ हम गमयबै गै।
गै चोरबा पकड़ल तोरा हेतौ मोकमा मे।
एत्तेक बात दादा बोलै छै
तब जवाब मलीनियाँ दैये।
चल चल स्वामी चल
मोकमागढ़ चल अबैय
चोरबा पकड़ि के पकरिया जयबै हय।
घुरिकऽ नटिनियाँ मोकमा जाइ छै
नटिन के भेष मलीनियाँ छोड़ै छै
हा जाति तऽ मालीन बनलै
माया बाजार लगा ने देलकै
मोकमागढ़ बाजार लगौलकै
मेला घुरैलय चुहरा अऔतै
पान खेतौ मुँहबा रंगौतै
पान खिया मन मोहरौबे
तब चुहरा के हाजिर करबै गै।।