भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

‘किट्टू’ के लिए / नील कमल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सपनों की उम्र
लंबी हो गई
ज़िन्दगी
छोटी होने का ग़म नहीं

सपनों का अंकुर फूटा है
रोशनी की फ़सल आँखों में
तैरने लगी है

इस रोशनी का नाम
‘किट्टू’ होना चाहिए ।