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‘रेप’ बड़की हुई, मगर, घर में / जहीर कुरैशी

रेप बड़की हुई मगर घर में
घुस गया है अजीब डर घर में

बूढ़े माँ-बाप ‘गाँव’ लगते हैं
जब से बच्चे हुए शहर घर में

छोटी ननदी की आँख लड़ने की
सिर्फ़ भाभी को है खबर घर में

जब से अफसर बना बड़ा बेटा
झुक गया है पिता का स्वर घर में

सबके चूल्हे हैं,यार, मिट्टी के
व्यर्थ तू झाँकता है घर-घर में