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...तक / हरीश बी० शर्मा

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दिल में नासूर बने शब्द
टूटता संयम-बिखरता विश्वास
चलना, चलते रहना
शायद पहचान ले कोई
समझे तो सही
राज खामोशी का
प्रथम खो गया है
पता चलता है पराभव भी हो गया है
प्रताड़ित पल-पल
मजबूरी सहेजने की
लाचारी सहने की
साथ-साथ रहने की
बनाते रहना ब्रेन-ट्यूमर