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111 / हीर / वारिस शाह

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सिर बेटियां दे चा जुदा करदे जदों गुस्सयां ते बाप आंवदे नी
सिर वढके नदी विच रोहड़ दें दे मास कां कुते बिले खांवदे नी
समी जान जलाली ने रोहड़ दिती कई डूम<ref>एक जात</ref> ढाडी पए गांवदे नी
औलाद जेहड़ी आखे ना लगे मापे उसनूं मार मुकांवदे नी
जदों कहर ते आंवदे बाप जालम बन्ह बेटियां भोरे पांवदे नी
वारस शाह जे मारिये बदां तांई देवे खून ना तिन्हां दे आवंदे नी

शब्दार्थ
<references/>