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11 सितंबर की एक तस्वीर / विस्वावा शिम्बोर्स्का / श्रीविलास सिंह
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वे कूदे जल रही मंजिलों से
पहली, दूसरी, कुछ और
ऊपर की, नीचे की।
तस्वीर ने रोक लिया उन्हें जीवन में,
और बनाये रखा है उन्हें अब
धरती से ऊपर धरती की ओर।
हरेक है स्थिर एकदम,
एक विशेष चेहरे के साथ
और रक्त है अच्छी तरह छिपा हुआ।
है पर्याप्त समय
बालों के बिखर जाने को,
जेबों से चाभियों और सिक्कों के
गिर जाने को।
वे हैं अभी भी हवा की पहुँच में
उन जगहों की परिधि में
जो खुली हैं बिलकुल अभी।
मैं उनके लिए कर सकती हूँ बस दो बातें
वर्णन करना इस उड़ान का
और न जोड़ना एक अंतिम पंक्ति।