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147 / हीर / वारिस शाह

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वार घतियां कौन बलाए कुता दुरकार के परां ना मारदे हो
असां भईअड़े पिटियां हथ लाया तुसीं एतनी गल न नितारदे हो
फरफेजियां मकरियां ठकरियां नूं <ref>फरेब करने वाले प्रपंचियों को</ref> मूंह ला के चा विगाड़दे हो
मुठी मुठी हां ऐड अपराध पैंदा धीयां सद के परहे विच मारदे हो
एह लुचा मुशटंइड़ा असीं कुड़ियां अजे सच ते झूठ नितारदे हो
पुरूष होय के पढियां नाल घुलदा तुसीं गल की चा निघारदे हो
वारस शाह मियां मरद सदा झूठे रन्नां सचियां सच की तारदे हो

शब्दार्थ
<references/>