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15 अगस्त 1947 / कमल जीत चौधरी
Kavita Kosh से
तुम बरत रहे हो रोज़
जनसमूह पर
13 अप्रैल 1919
मैं पड़ोसियों का
मुँह देखे बगैर
23 मार्च 1931
हो जाने के लिए तैयार हूँ
आएगा
ज़रूर आएगा
15 अगस्त 1947
भी आएगा
आएगा
और अब की कभी न जाएगा
जनता जाने नहीं देगी