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163 / हीर / वारिस शाह

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हीर पुछके आपने माहीए नूं लिखवा जवाब चा टोरया ई
तुसां लिखया ते असां वाचया ई सानूं वावदयां ही लगा झोरया ई
असां धीदो नूं चा महींवाल कीता कदी टोरना तेनहीं लोड़या ई
कदे पान ना वल फेर ते पहुंचे शीशा चूर होया किसे जोड़या ई
गंगा गइयां न हडियां मुड़दियां ने गए वकत नूं किसे ना मोड़या ई
हथों छुटके तीर ना कदे मिलदे वारस छडना ते नहीं छोड़या ई

शब्दार्थ
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