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24/ हरीश भादानी
Kavita Kosh से
हम-एक शब्द
जिसके सामने लिखा हो-
व्यंग का तीखा विशेषण-तुम !
इस अधूरे वाक्य को समझने
मन लगाया
आँखें गड़ाकर पढ़ा
फटती पोरों से
अनेक पृष्ठ पल्टे
पीले पड़े कोष के;
फीके पड़े अक्षर
दूसरा ही अर्थ देने लगे,
टीका क्या करें ?
क्यों न इस अधूरे वाक्य को
यहीं पर छोड़ दें ?