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242 / हीर / वारिस शाह

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नाथ वेख के बहत मलूक चंचल अहल तबा<ref>शौकीन</ref> ते सोहना छैल मुंडा
कोई हुसन दी कान उशनाक<ref>सयाना</ref> सुंदर अते लाडला मां ते बाप सदा
किसे दुख ते रूस के उठ आया अते किसे दे नाल पै गया धंदा
नाथ आखदा दस खां सच मैंथे तूं तां केहड़े दुख फकीर हुंदा

शब्दार्थ
<references/>