भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

303 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

असां अर्ज कीती तैनूं गुरु करके बाल नाथ दियां तुसी निशानियां हो
तैनूं छडया किवे है जालमा ने कशमीर दियां तुसी खरमानियां हो
साडी आजजी तुसी ना मनदे हो गुसे नाल पसारदे आनियां हो
वारस आखया महर दे चलो वेहड़े तुसी नहीं करदे मेहरबानियां हो

शब्दार्थ
<references/>