भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

310 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अजू धी रखी धाड़े मार लपर मुशटंडड़ी त्रिंजणी घुमदी ए
करे आन बेअदबी जोगियां<ref>भिखारी</ref> दी अते मिलदियां महीं नूं चुमदी ए
लाह सेलियां मारदी जोगियां नूं सुते वलवले दिलां दे टुमदी ए
फिरे नचदी शोख बुरहान घोड़ी नांह कतदी नांह तुमदी ए
सरदार है लूहकां लाहकां दी पीहन डोहलदी ते तौन लुमदी ए
वारस शाह दिल आंवदा चीर सुटां बुनयाद एह जुलम दी खुबदी ए

शब्दार्थ
<references/>