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311 / हीर / वारिस शाह
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लागे हथ जे पकड़ पछाड़ सटों तेरे नाल करसां तां तूं जानसै वे
हिक हिक कसां भन्न लिंग तेरे तदों राब नूं खूब पछानसै वे
वेहड़े वड़े तां भन्नांगी टिंड तेरी तदों शुकर बजा लयानसै वे
गदे<ref>भिखारी</ref> वांग जा जूड़ के घड़ां तैनूं तदों छट तदबीर दी छानसै वे
सहती उठ के घरां नूं घूक चली मंगन आवसें तां मैंनूं जानसै वे
वारस शाह वांगू तेरी करां खिदमत मौज सजनां दी तदां मानसै वे
शब्दार्थ
<references/>