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320 / हीर / वारिस शाह

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सच आख तूं रावला कहे सहती तेरा जिऊ केहड़ी गल लोड़दा ए
वेहड़े वड़दयां रिकतां छेड़ीयां ने कंडा विच कलेजे दे बोड़दा ए
बादशाहां दे बाग विच नाल चावड़ फिरे फुल गुलाब दा तोडदा ए
वारस शाह नूं शुतर<ref>ऊंट</ref> मुहार बाझों डांग नाल कोई भुण मोड़दा ए

शब्दार्थ
<references/>