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340 / हीर / वारिस शाह

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आ नढीए गैब क्यों चाया ई साडे नाल की रिकता<ref>झगड़ा</ref> चाइयां नी
बेकसां दा कोई ना रब्ब बाझों तुसीं दोवं ननाण भरजाइयां नी
जेहड़ा रब्ब दे नाम ते भला करसी अगे मिलनगियां ओस भलाइयां नी
अगे तिन्हां दा हाल ज़बून<ref>बुरा, मंदा</ref> होसी अखीं वेख करन जो बुरयाइयां नी

शब्दार्थ
<references/>