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36 / हीर / वारिस शाह

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दाहड़ी शेख़ दी अमल शैतान वाले केहा राणयो जांदयां राहियां नूं
अगे कढ कुरान ते बहे मिंबर केहा अडयों मकर दीयां फाहियां नूं
इह पलीत ते पाक दा करो वाकफ असीं जाणीए शरह गवाहियां नूं
जिहड़ी थाउं नापाक लै विच वड़यों शुकर रब्ब दीयां बेपरवाहियां नूं
वारस शाह विच हुजरियां फैल<ref>बुरे काम</ref> करदे मुलां लावंदे जोतरे वाहियां नूं

शब्दार्थ
<references/>