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371 / हीर / वारिस शाह

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तू छातियां नाल ओह मसभिंना तदों दोहां दा जी रल गया सी नी
ओह वझली नाल तूं नाल लटकां जिउ दोहांदा दोहां ने लाया सी नी
ओह इशक दे हट बका रिहा मझी किसे दियां चारदा रिहा सी नी
नाल शोक दे महीं चारदा सी तेरा वयाह होया लुड़<ref>वह गया</ref> सी नी
तूसी चढ़ा डोली ओह हिक मण टमक<ref>ढोल</ref> चायके नाल लैगया सी नी
हुण कन्न पड़ा फकीर होया नाल जोगियां दे रत्न गया सी नी
अज पिंड तुसाडड़े आन वड़या अजे लंघ के अगां ना गया सी नी
हुण संगली सुट के शगन बोलां चुआ सौ रयां ते गुना पया सी नी
वारस शाह मैं पतरी फोल डिठी कुरआ<ref>पांसा</ref> एह नजूम दा पया सी नी

शब्दार्थ
<references/>