भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

426 / हीर / वारिस शाह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दोहां वट लंगोटड़े लई मुहली कारे वेख लौ मुंडयां मोहनियां दे
निकल झट<ref>झपटना</ref> कीता सहती रावले ते दासे भनयों ने नाल थोहनियां दे
जट मार मधानियां पीह सटया भनया नाल दुध दोहनियां<ref>चाटा</ref> दे
नवाब हुसैन खां दे जिवें नाल लड़या वूसमंद<ref>लाहौर का सूबेदार</ref> हैसी विच चूहनियां<ref>एक जगह का नाम</ref> दे

शब्दार्थ
<references/>