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42 / हीर / वारिस शाह
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चिड़ी चूकदी नाल जां टुरे पांधी पइयां चाटियां विच मधानियां नी
उठ गुसल दे वासते जा पुजे सेजां जिनां ने रात नूं मानियां नी
रांझे कूच कीता आया नदी उते साथ लदया पार मुहानियां नी
वारस शाह मियां लुडन बड़ा लोभी कुपा शहद दा लदया बानियां नी
शब्दार्थ
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