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455 / हीर / वारिस शाह

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तैनूं बड़ा हंकार है जोबने दा खातर तले ना किसे नूं लिआवना ए
जिन्हां जायो तिन्हां दे नाम धरने बड़ा आप नूं गौंस<ref>पीर</ref> सदावना ए
होन त्रिमतां नहीं ते जग मुके वत किसे ना जग ते लिआवना ए
असां चिठियां घल सदयों तू साथों आपना आप छिपावना ए
करामात तेरी असां ढूंढ़ डिठी ऐवे शेखियां पया वखावना ए
चाक सदके बाग तों कढ छडूं अते होर ही महों कढावना ए
अन्न खावना ए रज गधे वांगूं कदे शुकर वजा ना लिआवना ए
छड बंदगी चोरां दी राह फड़यो वारस शाह फकीर सदावना ए

शब्दार्थ
<references/>