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497 / हीर / वारिस शाह
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लुड़ गई जे मैं रतड़ पाट चली कुड़ियां पिंड दिया अज दीवानियां ने
चोचे<ref>ऊर्जा</ref> लांदियां धीयां पराइयां नूं वेदरद ते अंत वेगानियां ने
मैं वेदोश अते वेखबर ताई रंग रंग दियां लांदियां कानियां<ref>तीर</ref> ने
मसत फिरन उनमाद<ref>मस्ती</ref> दे नाल भरियां चेडो चला चलन मसतानियां ने
शब्दार्थ
<references/>