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4 / हीर / वारिस शाह
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मदह<ref>तारीफ</ref> पीर दी हुब्ब<ref>प्यार</ref> नाल कीचे जैंदे खादमा विच वी पीरिआं नी
बाझ ओस जनाब दे पार नाही लख ढूंढ़दे फिरन फकीरिआं नी
जिहड़े पीर दी मेहर मनजू़र होए घर तिनहां दे मीरिआं पीरिआं नी
रोजे़ हशर ने पीर दे तालबां नूं हथ सजड़े मिलणगिआं चीरिआं नी
शब्दार्थ
<references/>