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502 / हीर / वारिस शाह

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भाबी साहन तेरे मगर धुरो लगा हलयां होया कदीम दा मारदा नी
तूं भी वहुटड़ी पुत सरदार दिए उस वी दुध पीता सरदार दा नी
साहन बाग विच लटदा हो कमला हीर हीर ही नित पुकारदा नी
तेरे नाल उह लाड पयार करदा होर किसे नूं मूल ना मारदा नी
पर उह इलत बुरी हिलया ए पानी पींवदा तेरी नसार<ref>बालटी</ref> दा नी
तूं झंग सयालां दी मोहनी ए तैनूं आन मिलया हिरन बार दा नी
खास किसे दे वल न धयान करदा साखां<ref>हड्डियां</ref> तेरियां उह लताड़दा नी
वारस शाह मियां सच झूठ विचों पुण कढदा अते नितारदा नी

शब्दार्थ
<references/>