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519 / हीर / वारिस शाह
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फौज हुसन दी खेत विच खिंड पई तुरत चा लगोटड़े वटयो ने
संमी खेडदियां मारदियां फिरन गिधा फबी घत बनावट पटयो ने
तोड़ किकरों सूल दा वडा कंडा पैर चोभ के खून पलटयो ने
सहती अंदरों मकर दा फंद जड़या दंद मारके खून उलटयो ने
शिसत-अंदाज<ref>निशाने-बाज़</ref> ते मकर दा नाग कीता उस हुसन दे मोर नूं फटयो ने
वारस यार दे खरच तहसील विचों हिसो सिरफ कसूर दा लुटयो ने
शब्दार्थ
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