51 से 60 / कन्हैया लाल सेठिया
51.
मन में घणो हुंश्यार, पूंछ न जाणै आंक री
छलकै बारम्बार, रीतो मटको रमणियां।
52.
होनहार सो होय, करम लिखेड़ी ना टळै
जो नर मूरख होय, रूदन मचावै रमणियां।
53.
अस्थिर हैं संसार, गरब न कीजै भूल कर
ले ज्यासी जण च्यार, रथी बणा कर रमणियां।
54.
स्वारथ में सै सीर, बगत पड़या बदळै नयन
ज्यूं किरड़े रो कीर, रंग बणावै रमणियां।
55.
निर्बळ रो बळ राम, आ कैवत कहतां सुणी
सिमरू बिण रो नाम, राम आसरो रमणियां।
56.
कर दै कालो रंग ज्यूं, हाथ लगाया लगाया कोयलो
त्यूं रूळपट रो संग, रहो न साथै रमणियां।
57.
हुवै नाम बदनाम, इज्जत रा टक्का हुवै
जग हांसी कुळ हाण, रोळ कर्यां स्यूं रमणियां।
58.
चिन्ता दुःख को धाम, तन देवै सगळो गळा
ज्यूं जूतै रो चाम, रांपी छेकै रमणियां।
59.
कहसी बात बिचार, देख समैं री चाल नै
बो ही नर हुंष्यिार, रेख राखसी रमणियां।
60.
आँसू हिय रो हार, गाळै मर रै मैळ नै
ज्यूं कपड़ा रो खार, रीठो काटै रमणियां।