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522 / हीर / वारिस शाह

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जदों सांगरां वाहरां कूच कीती सारे देस ते धुम भुचाल आही
खेड़ों खबर होई चढ़या देस सारा नूंह खेड़या दी जेहड़ी सयाल आही
सरदार सी खूबां दे त्रिंजणी दी जैदी हंस ते मोर दी चाल आही
खेड़े नाल सी उस अनजोड़ मुढों दिलों साफ रंझेटे दे नाल आही
इना कैदा कुना<ref>मक्कर, फरेब</ref> बाब औरतां दे धुरों विच कुरान दे फाल आही
वारस शाह सुहागा ते अग वांगू सोना खेड़या दा सभो गाल आही

शब्दार्थ
<references/>