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540 / हीर / वारिस शाह

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छड देस जहान उजाड़ मली अजे जट नहीं पिछा छडदे ने
असां छडया एह ना मूल छडन वैरी मुढ कदीम तो हड दे ने
लीही पई मेरे उते झाड़यां दी पास जान नाही पिंज गड दे ने
वारस शाह जहान तों अक पए कल फकीर हुण लद दे ने

शब्दार्थ
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