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558 / हीर / वारिस शाह

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खेड़े राजे दे आन हजूर होए मुंह बने ने आन फरयादियां दे
रांझे आखया खोह लै चले नढी एह खोहरू<ref>डाकू</ref> परहे वेदादियां<ref>बेरहम</ref> दे
मैथों खोह फकीर तों उठ नठै जिवें पैसयां नूं डूम शादियां दे
मेरा नयां राजा साहब तेरे अगे एह वडे दरबार नी आदियां दे
चिटियां दाढ़ियां पगड़ियां वेख भुले एह शैतान ने अंदरों वादियां दे
वारस शाह बाहरों सुफैद सयाह विचों तंबू होण जिवें मालजादियां<ref>कंजयिां, वेश्याएं</ref> दे

शब्दार्थ
<references/>