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571 / हीर / वारिस शाह

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इस पद्य में अलग-अलग देशों के नाम हैं

रब्बा उह पाई कहर शहर उते जेहड़ा घर फरऔन डुबाया ई
जेहड़ा कहर होया नाजल जिकरी ते उहनूं घत शरांह दराया ई
जेहड़ा पायके कहर ते सुट तखतों सुलेमान तों भठ झूलकाया ई
जेहड़े कहर दे नाल फिर शाह मरद इक नफरतों कतल कराया ई
जेहड़े कैहर दा युनस ते पा बदला ओहनूं डगरे तों निगल वायाई
जेहड़े कैहर ते सबक दी पकड़ कीती इसमाईल नूं जिबा कराया ई
जेहड़े घतक गजब ते बड़ा गुसा यूसफ खूह दे विच पवाया ई
जेहडे कहर दे नाल यजीदां तों मजलूम हुसैन कुहाया ई
ओहो कहर घती इस शहर उते सिर इतलयां दे जेहड़ा आया ई

शब्दार्थ
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