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67 / हीर / वारिस शाह
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मैंनूं बाबले दी कसम रांझिया वे मरे मां जे तुध थीं मुख मोड़ां
तेरे बाझ तुआम<ref>भोजन</ref> हराम मैंनूं तुध बाझ ना नेण नाल नैण जोड़ां
खुआजा खिजर<ref>इस्लाम में ख़्वाजा खि़ज एक फरिश्ते का नाम है जो भटके मुसाफिरों को रास्ता दिखाता है। उन्हें अमर माना गया है।</ref> ते बैठके कसम खाधी थीवां सूर जे प्रीत दी रीत तोड़ां
कोहढ़ी होइके नैण प्राण जावन तेरे बाझ जे कौंत मैं होर लोड़ां
शब्दार्थ
<references/>