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"ऐसा नहीं कि हमको मोहब्बत नहीं मिली.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
 
ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
थी जिसकी आरज़ू वही, दौलत नहीं मिली  
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बस जैसी आरज़ू थी वो चाहत नहीं मिली  
 
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देखे अगर करे मेरे से, रश्क यार भी
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दौलत है, घर है, ख़्वाब हैं, हर ऐश है मगर
सब कुछ मिला मगर वही, क़िस्मत नहीं मिली  
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फिर भी ये लग रहा है कि क़िस्मत नहीं मिली
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रोका बहुत मगर वो मुझे छोड़कर गए
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इन आंसुओं को आज भी क़ीमत नहीं मिली
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इस ज़िंदगी में ख़्वाब-ओ-ख़यालात भी तो हैं
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हमको ये सोचने की भी मोहलत नहीं मिली
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हालाँकि सारी उम्र ही गुज़री है उनके साथ
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“श्रद्धा” मेरा नसीब कि क़ुरबत नहीं मिली
  
घर को सजाते कैसे, ये लड़की हैं सीखती
 
ज़िंदा रहे तो कैसे, नसीहत नहीं मिली
 
 
क़िस्सा सुनाएँ किसको यहाँ, तेरे ज़ॉफ का 
 
कहते हैं हम सभी से, कि आदत नहीं मिली
 
 
देखा गिरा के खुद को ही, क़दमों में उसके भी
 
“श्रद्धा” नसीब में तुझे क़ुरबत नहीं मिली
 
 
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11:11, 15 दिसम्बर 2010 का अवतरण

ऐसा नहीं कि हमको, मोहब्बत नहीं मिली
बस जैसी आरज़ू थी वो चाहत नहीं मिली

दौलत है, घर है, ख़्वाब हैं, हर ऐश है मगर
फिर भी ये लग रहा है कि क़िस्मत नहीं मिली

रोका बहुत मगर वो मुझे छोड़कर गए
इन आंसुओं को आज भी क़ीमत नहीं मिली

इस ज़िंदगी में ख़्वाब-ओ-ख़यालात भी तो हैं
हमको ये सोचने की भी मोहलत नहीं मिली

हालाँकि सारी उम्र ही गुज़री है उनके साथ
“श्रद्धा” मेरा नसीब कि क़ुरबत नहीं मिली