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"जिस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर

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जिस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का  
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ज़िस्म  सन्दल, मिज़ाज फूलों का  
रात देखा है, ताज फूलों का
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हमने देखा है, ताज फूलों का
  
उसकी खुश्बू , उसी की यादें हैं  
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किसकी ख़ुशबू है, किसकी यादें हैं
 
मेरे घर में है, राज फूलों का
 
मेरे घर में है, राज फूलों का
  
हुस्न के, नाज़ भी उठाता है
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आप पत्थर ही पूजिए लेकिन
इश्क़ को, इहतियाज<ref>Need</ref> फूलों का
+
सुन तो ले एहतिजाज<ref>विरोध</ref> फूलों का
  
नफ़रतों को, मिटा हैं सकते गर
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इनको पानी की चार बूंद बहुत
आग को दें, इलाज फूलों का  
+
आग से क्या इलाज फूलों का
  
थक गये राग-ए-गम को गा-गा कर
+
हिन्दू मुस्लिम बने फ़क़त इंसान
साज़ छेड़ा है, आज फूलों का  
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फिर बनेगा समाज फूलों का  
  
हो न हिंदू, न हो कोई मुस्लिम
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सब्र जो है यतीम बच्चों को
बस बने इक, समाज फूलों का
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बस यही है अनाज फूलों का
  
लाई “श्रद्धा” भी मोगरे की लड़ी
+
पत्थरों पर भी चढ़ गए ‘श्रद्धा’
लौट आया, रिवाज फूलों का
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हाँ  यही है रिवाज फूलों का
 
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13:20, 26 दिसम्बर 2010 का अवतरण

ज़िस्म सन्दल, मिज़ाज फूलों का
हमने देखा है, ताज फूलों का

किसकी ख़ुशबू है, किसकी यादें हैं
मेरे घर में है, राज फूलों का

आप पत्थर ही पूजिए लेकिन
सुन तो ले एहतिजाज<ref>विरोध</ref> फूलों का

इनको पानी की चार बूंद बहुत
आग से क्या इलाज फूलों का

हिन्दू मुस्लिम बने फ़क़त इंसान
फिर बनेगा समाज फूलों का

सब्र जो है यतीम बच्चों को
बस यही है अनाज फूलों का

पत्थरों पर भी चढ़ गए ‘श्रद्धा’
हाँ यही है रिवाज फूलों का

शब्दार्थ
<references/>