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"रविश-ए-गुल कहाँ यार हँसाने वाले / ज़फ़र" के अवतरणों में अंतर
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− | रविश-ए-गुल है कहां यार हंसाने वाले | + | रविश-ए-गुल<ref>फूल की भांति</ref> है कहां यार हंसाने वाले |
− | हमको शबनम की तरह सब है रूलाने वाले | + | हमको शबनम <ref>ओस</ref> की तरह सब है रूलाने वाले |
− | सोजिशे-दिल का नहीं अश्क बुझाने वाले | + | सोजिशे-दिल<ref>दिल की जलन</ref> का नहीं अश्क बुझाने वाले |
बल्कि हैं और भी यह आग लगाने वाले | बल्कि हैं और भी यह आग लगाने वाले | ||
− | मुंह पे सब जर्दी-ए-रूखसार कहे देती है | + | मुंह पे सब जर्दी-ए-रूखसार<ref>गालों का पीलापन</ref> कहे देती है |
क्या करें राज मुहब्बत के छिपाने वाले | क्या करें राज मुहब्बत के छिपाने वाले | ||
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वह तो इक गुल हैं नया रोज खिलाने वाले | वह तो इक गुल हैं नया रोज खिलाने वाले | ||
− | दिल को करते है बुतां, थोड़े से मतलब पे खराब | + | दिल को करते है बुतां<ref>रूपसी</ref>, थोड़े से मतलब पे खराब |
ईंट के वास्ते, मस्जिद हैं ये ढाने वाले | ईंट के वास्ते, मस्जिद हैं ये ढाने वाले | ||
नाले हर शब को जगाते हैं ये हमसायों को | नाले हर शब को जगाते हैं ये हमसायों को | ||
− | बख्त-ख्वाबीदा को हों काश, जगाने वाले | + | बख्त-ख्वाबीदा<ref>सोया हुआ भाग्य</ref> को हों काश, जगाने वाले |
खत मेरा पढ़ के जो करता है वो पुर्जे-पुर्जे | खत मेरा पढ़ के जो करता है वो पुर्जे-पुर्जे | ||
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13:16, 29 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
रविश-ए-गुल<ref>फूल की भांति</ref> है कहां यार हंसाने वाले
हमको शबनम <ref>ओस</ref> की तरह सब है रूलाने वाले
सोजिशे-दिल<ref>दिल की जलन</ref> का नहीं अश्क बुझाने वाले
बल्कि हैं और भी यह आग लगाने वाले
मुंह पे सब जर्दी-ए-रूखसार<ref>गालों का पीलापन</ref> कहे देती है
क्या करें राज मुहब्बत के छिपाने वाले
देखिए दाग जिगर पर हों हमारे कितने
वह तो इक गुल हैं नया रोज खिलाने वाले
दिल को करते है बुतां<ref>रूपसी</ref>, थोड़े से मतलब पे खराब
ईंट के वास्ते, मस्जिद हैं ये ढाने वाले
नाले हर शब को जगाते हैं ये हमसायों को
बख्त-ख्वाबीदा<ref>सोया हुआ भाग्य</ref> को हों काश, जगाने वाले
खत मेरा पढ़ के जो करता है वो पुर्जे-पुर्जे
ऐ ‘जफर’, कुछ तो पढ़ाते हैं पढ़ाने वाले
शब्दार्थ
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