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"महफ़िल में तनहा रहता हूँ / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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देखो मै क्या क्या सहता हूँ | देखो मै क्या क्या सहता हूँ | ||
15:05, 31 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
महफ़िल में तन्हा रहता हूँ
देखो मै क्या क्या सहता हूँ
जब पुख्ता बुनियाद है मेरी
फिर क्यों खंडहर सा ढहता हूँ
लफ्फाजों की इस दुनिया में
इक मैं हूँ जो सच कहता हूँ
तुम हँसते हो फूलों जैसे
मैं आँसू आँसू बहता हूँ
बाहर से हूँ ठंडा- ठंडा
अन्दर से कितना दहता हूँ