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"छिपा हुआ हो चंदा जो बादल में कुछ / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर

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उसका मुखड़ा चमके यूँ आँचल में कुछ
 
उसका मुखड़ा चमके यूँ आँचल में कुछ
  
लगता है अब वो भी सियासत भूल गया
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लगता है अब वो भी सियासत सीख गया
 
उसकी बातें पल में कुछ हैं पल में कुछ
 
उसकी बातें पल में कुछ हैं पल में कुछ
  
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नई बात है जैसे ताजमहल में कुछ
 
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लहरें उटठी   यादों की दिल में ऐसे
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फेंका हो कंकर सा जैसे जल में कुछ
 
फेंका हो कंकर सा जैसे जल में कुछ
  

08:31, 2 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

छिपा हुआ हो चंदा जो बादल में कुछ
उसका मुखड़ा चमके यूँ आँचल में कुछ

लगता है अब वो भी सियासत सीख गया
उसकी बातें पल में कुछ हैं पल में कुछ

उसको देखा साथ तेरे तो लगा मुझे
नई बात है जैसे ताजमहल में कुछ

लहरें उटठी यादों की दिल में ऐसे
फेंका हो कंकर सा जैसे जल में कुछ

लगता है फिर मासूमो का क़त्ल हुआ
शोर सा है इंसानों के जंगल में कुछ

पहला पहला प्रेम पत्र होगा शायद
उसने रखकर भेजा है नावल में कुछ