भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इश्क़ अल्लाह-2 / नज़ीर अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=नज़ीर अकबराबादी | |रचनाकार=नज़ीर अकबराबादी | ||
− | |संग्रह=नज़ीर | + | |संग्रह=नज़ीर ग्रन्थावली / नज़ीर अकबराबादी |
}} | }} | ||
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} |
21:49, 4 जनवरी 2011 का अवतरण
ज़ाहिदो रौज़ए रिज़्वाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।
आशिक़ो कूचए जानाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।
जिसकी आँखों ने किया बज़्मे दो आलम को ख़राब ।
कोई उस फ़ितनए दौराँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
यारो देखो जो कहीं उस गुले खन्दाँ का ज़माल ।
तो मेरे दीदए गिरयाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
हैं जो वह कुश्तए शमशीर निगाहे क़ातिल ।
जाके उस गंजे शहीदाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
आह के साथ मेरे सीने से निकले है धुआँ ।
ऐ बुताँ मुझ दिलबर जाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।।
याद में उसके रुख़ों ज़ुल्फ़ की हर आन ’नज़ीर’
रोज़ो शब सुंबुलो रेहाँ से कहो इश्क़ अल्लाह ।।