भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=सतीश शुक्ला 'रक़ीब' | संग्रह = }} {{KKCatGhazal}} <poem> देखकर बस …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:15, 5 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
देखकर बस इक नज़र उसको दिवाना कर दिया
"मार डाला मरने वाले को के अच्छा कर दिया"
डूबने वाले को तिनके का सहारा है बहुत
शुक्रिया, तूफ़ान का, उसने किनारा कर दिया
जब भी जाना उसके घर तो कहना मेरा भी सलाम
और ये कहना के जो उसने कहा था, कर दिया
उम्र भर सब पर रहेगा क़र्ज़ माँ के दूध का
कोई कह सकता नहीं ये क़र्ज़ चुकता कर दिया
कुछ हुआ करता था तेरा और कुछ मेरा 'रक़ीब'
दो मुलाक़ातों ने देखो सब हमारा कर दिया