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लाई पैग़ाम मौजे-बादे-बहार | लाई पैग़ाम मौजे-बादे-बहार | ||
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कि हुई ख़त्म शोरिशे - कश्मीर | कि हुई ख़त्म शोरिशे - कश्मीर | ||
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दिल हुए शाद अम्न केशों के | दिल हुए शाद अम्न केशों के | ||
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है यह गांधी के ख़्वाब की ताबीर | है यह गांधी के ख़्वाब की ताबीर | ||
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सुलहजोई में अम्नकोशी में | सुलहजोई में अम्नकोशी में | ||
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काश होती न इस क़दर ताख़ीर | काश होती न इस क़दर ताख़ीर | ||
− | + | ताकि होता न इस इस क़दर नुक़्साँ | |
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और होती न दहर में तश्हीर | और होती न दहर में तश्हीर | ||
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बच गये होते नौजवां कितने | बच गये होते नौजवां कितने | ||
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जिनको मरवा दिया बसर्फे-कसीर | जिनको मरवा दिया बसर्फे-कसीर | ||
− | |||
ज़िक्र क्या उसका, जो हुआ सो हुआ | ज़िक्र क्या उसका, जो हुआ सो हुआ | ||
− | |||
उन बेचारों की थी यही तक़दीर | उन बेचारों की थी यही तक़दीर | ||
− | |||
काम लें अब ज़रा तहम्मुल से | काम लें अब ज़रा तहम्मुल से | ||
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दोनों मुल्कों के साहबे-तदबीर | दोनों मुल्कों के साहबे-तदबीर | ||
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दिल से तख़रीब का ख़याल हो दूर | दिल से तख़रीब का ख़याल हो दूर | ||
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और हो जायें माइले-तामीर | और हो जायें माइले-तामीर | ||
− | |||
रंग इस में ख़ुलूस का भर दें | रंग इस में ख़ुलूस का भर दें | ||
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खिंच रही है जो अम्न की तस्वीर | खिंच रही है जो अम्न की तस्वीर | ||
− | |||
अहदो-पैमां हों वक़्फे-इस्तक़लाल | अहदो-पैमां हों वक़्फे-इस्तक़लाल | ||
− | |||
उनकी तकमील में नहीं तक़्सीर | उनकी तकमील में नहीं तक़्सीर | ||
− | |||
अहले-अख़बार हों वफ़ा आमोज़ | अहले-अख़बार हों वफ़ा आमोज़ | ||
− | |||
क़ातए-दोस्ती न हो तहरीर | क़ातए-दोस्ती न हो तहरीर | ||
− | |||
आमतुन्नास हों इधर न उधर | आमतुन्नास हों इधर न उधर | ||
− | |||
किसी उन्वान इश्तिआल पज़ीर | किसी उन्वान इश्तिआल पज़ीर | ||
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अलमे-आश्ती बलन्द रहे | अलमे-आश्ती बलन्द रहे | ||
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अन्दरूने-नियाम हो शमशीर | अन्दरूने-नियाम हो शमशीर | ||
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हर दो जानिब की बेटियाँ-बहनें | हर दो जानिब की बेटियाँ-बहनें | ||
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हैं जो मज़बूरे-क़ैदे-बेज़ंजीर | हैं जो मज़बूरे-क़ैदे-बेज़ंजीर | ||
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जिस क़दर जल्द हो रिहा हो जाएँ | जिस क़दर जल्द हो रिहा हो जाएँ | ||
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उनका क्या जुर्म ? क्यों रहें वह असीर | उनका क्या जुर्म ? क्यों रहें वह असीर | ||
− | |||
है तक़ाज़ा यही शराफ़त का | है तक़ाज़ा यही शराफ़त का | ||
− | |||
दोनों मुल्क़ों की इसमें हैं तौक़ीर | दोनों मुल्क़ों की इसमें हैं तौक़ीर | ||
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रहें आबाद हिन्दो-पाकिस्ताँ | रहें आबाद हिन्दो-पाकिस्ताँ | ||
− | |||
तेरी रहमत से अय ख़ुदाए-क़दीर | तेरी रहमत से अय ख़ुदाए-क़दीर | ||
− | |||
ग़रज परवाज़ हो चुका महरूम | ग़रज परवाज़ हो चुका महरूम | ||
− | |||
अब कहें कुछ ‘हफ़ीज़’ और ‘तासीर’ | अब कहें कुछ ‘हफ़ीज़’ और ‘तासीर’ | ||
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23:59, 7 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
लाई पैग़ाम मौजे-बादे-बहार
कि हुई ख़त्म शोरिशे - कश्मीर
दिल हुए शाद अम्न केशों के
है यह गांधी के ख़्वाब की ताबीर
सुलहजोई में अम्नकोशी में
काश होती न इस क़दर ताख़ीर
ताकि होता न इस इस क़दर नुक़्साँ
और होती न दहर में तश्हीर
बच गये होते नौजवां कितने
जिनको मरवा दिया बसर्फे-कसीर
ज़िक्र क्या उसका, जो हुआ सो हुआ
उन बेचारों की थी यही तक़दीर
काम लें अब ज़रा तहम्मुल से
दोनों मुल्कों के साहबे-तदबीर
दिल से तख़रीब का ख़याल हो दूर
और हो जायें माइले-तामीर
रंग इस में ख़ुलूस का भर दें
खिंच रही है जो अम्न की तस्वीर
अहदो-पैमां हों वक़्फे-इस्तक़लाल
उनकी तकमील में नहीं तक़्सीर
अहले-अख़बार हों वफ़ा आमोज़
क़ातए-दोस्ती न हो तहरीर
आमतुन्नास हों इधर न उधर
किसी उन्वान इश्तिआल पज़ीर
अलमे-आश्ती बलन्द रहे
अन्दरूने-नियाम हो शमशीर
हर दो जानिब की बेटियाँ-बहनें
हैं जो मज़बूरे-क़ैदे-बेज़ंजीर
जिस क़दर जल्द हो रिहा हो जाएँ
उनका क्या जुर्म ? क्यों रहें वह असीर
है तक़ाज़ा यही शराफ़त का
दोनों मुल्क़ों की इसमें हैं तौक़ीर
रहें आबाद हिन्दो-पाकिस्ताँ
तेरी रहमत से अय ख़ुदाए-क़दीर
ग़रज परवाज़ हो चुका महरूम
अब कहें कुछ ‘हफ़ीज़’ और ‘तासीर’