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"न मैं किसी का / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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14:13, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
जीकर भी
न जीने की संज्ञा से जीवित हूँ मैं
रुक गई नाव के हाथ थामे
प्रवाहित जल में
अप्रवाहित खड़ा मैं
अजनबी-अकेला-
न मैं किसी का
न कोई मेरा।
मौत जी रही है मुझे
जिंदगी के साथ
अपनी जिंदगी में
रचनाकाल: २०-१०-१९६६