भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बंद आँखें : खुली आँखें / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("बंद आँखें : खुली आँखें / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:55, 9 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
बंद आँखें
नींद में
देखती हैं
सुबह का सपना
खुली आँखें
धूप में
देखती हैं
रात की रचना
रचनाकाल: २६-०८-१९७१