भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुबह की शहजादी / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …) |
छो ("सुबह की शहजादी / केदारनाथ अग्रवाल" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
11:46, 14 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
सुबह की शहजादी
रंगीन रेशमी बाल खोले,
जिस्म से हसीन,
आसमान से
जमीन पर
घूमने आई,
मदरास को-
उसने
महीन मुस्कराहट
सिंधु को उसने
देहोल्लास दिया
इस तरह उसने
आम आदमी का दिल
हुस्न के फरेब से जीत लिया
रचनाकाल: ०७-०६-१९७६