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ऊब की मक्खी को | ऊब की मक्खी को | ||
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अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो | अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो | ||
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सम्भव है नींद खुलने पर इस बार | सम्भव है नींद खुलने पर इस बार | ||
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किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम | किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम | ||
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जागने से बड़ी है इस बार | जागने से बड़ी है इस बार | ||
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पोशाक | पोशाक | ||
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संभलते दर्शको | संभलते दर्शको | ||
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11:45, 17 जनवरी 2011 के समय का अवतरण
संभलो दर्शको
ऊब की मक्खी को
अपनी उम्मीद की पोशाक पर बैठने न दो
सम्भव है नींद खुलने पर इस बार
किसी बदली हुई दुनिया में जागें हम
जागने से बड़ी है इस बार
पोशाक
संभलते दर्शको