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"ये सीढ़ियाँ ही ढलान की हैं / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
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समझ रहे हो, चढ़ान की हैं | समझ रहे हो, चढ़ान की हैं | ||
− | ये सीढ़ियाँ | + | ये सीढ़ियाँ तो ढलान की हैं |
ये धर्म, भाषा, अमीर, मुफ़लिस | ये धर्म, भाषा, अमीर, मुफ़लिस | ||
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उन्हीं को फिकरें जहान की हैं | उन्हीं को फिकरें जहान की हैं | ||
− | + | खुलूस, नेकी, वफ़ा, भलाई | |
ये खूबियाँ बस बयान की हैं | ये खूबियाँ बस बयान की हैं | ||
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नसीब-ए-शब् में सहर है इक दिन | नसीब-ए-शब् में सहर है इक दिन | ||
ये बातें बस खुशगुमान की हैं | ये बातें बस खुशगुमान की हैं | ||
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+ | मिठाइयाँ बस वो ही हैं फीकी | ||
+ | जो सब से ऊँची दुकान की हैं | ||
क़तर के पर, वो कहे है 'श्रद्धा' | क़तर के पर, वो कहे है 'श्रद्धा' | ||
खुली हदें आसमान की हैं | खुली हदें आसमान की हैं | ||
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18:42, 17 जनवरी 2011 का अवतरण
समझ रहे हो, चढ़ान की हैं
ये सीढ़ियाँ तो ढलान की हैं
ये धर्म, भाषा, अमीर, मुफ़लिस
चिताएँ ये संविधान की हैं
फ़साद करना है जिनका पेशा
उन्हीं को फिकरें जहान की हैं
खुलूस, नेकी, वफ़ा, भलाई
ये खूबियाँ बस बयान की हैं
गुनाह की हैं, गवाह वो भी
जो खिड़कियाँ उस मकान की हैं
नसीब-ए-शब् में सहर है इक दिन
ये बातें बस खुशगुमान की हैं
मिठाइयाँ बस वो ही हैं फीकी
जो सब से ऊँची दुकान की हैं
क़तर के पर, वो कहे है 'श्रद्धा'
खुली हदें आसमान की हैं