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मेरी कलम
चोंच से लिखती
चहचह करते शिल्पित शब्द।
पंक्तिबद्ध हो जो उड़ते हैं,
लीला लोल ललित करते हैं,
मुक्त गगन में
अर्थालोकित पंख पसार,
बनकर
जीवन की जयमाल!
रचनाकाल: २८-०३-१९९१