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"नेतृत्व का नायक / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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17:57, 21 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

नेतृत्व का नायक
कभी यहाँ,
कभी वहाँ
भटकता है,
अपना सिर
बुरी तरह पटकता है,
झाड़ियों के मुँह में
अटकता है,
सत्य की
आँख में खटकता है।

रचनाकाल: ०१-०८-१९९१