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"ख़ुशबुओं की तरह महकते गए / चाँद शुक्ला हदियाबादी" के अवतरणों में अंतर

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20:15, 25 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

ख़ुशबुओं की तरह महकते गए
तेरी ज़ुल्फ़ों के साए डसते गए

जो न होना था वो हुआ यारो
भीड़ थी रास्ते बदलते गए

न मिला तू न तेरे घर का पता
हम तेरी दीद को तरसते गए

ज़िंदगी को जिया है घुट-घुट कर
दिल में अरमान थे मचलते गए

कैसा बचपन था बिन खिलौनों के
चुटकियों से ही हम बहलते गए

मेरे सपने अजीब सपने थे
मौसमों के तरह बदलते गए

जब छुपा बादलों की ओट में "चाँद"
ग़मज़दा थे सितारे ढलते गए