भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जानो-दिल हम निसार करते हैं / चाँद शुक्ला हदियाबादी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चाँद हादियाबादी }} {{KKCatGhazal}} <poem> जानो-दिल हम निसार कर…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:48, 25 जनवरी 2011 के समय का अवतरण

जानो-दिल हम निसार करते हैं
प्यार की तरह प्यार करते हैं

हुस्न की ख़ूबसूरती में हम
उनकी सीरत शुमार करते हैं

मिस्ले-मजनूँ जुदाई में उनकी
अपना दिल-तार-तार करते हैं

उनका शेवा है गुल मसल देना
हम तो काँटों से प्यार करते हैं

रू-ब-रू उनके आके छुप जाना
वो बहुत बेक़रार करते हैं

क्या करें चाँद उनकी फ़ुर्क़त में
हम तो तारे शुमार करते हैं